सबरीमाला मंदिर का इतिहास
सबरिमलय मंदिर (Sabarimala Temple) भारत के केरल राज्य के पतनमतिट्टा ज़िले में पेरियार टाइगर अभयारण्य के भीतर सबरिमलय पहाड़ पर स्थित एक महत्वपूर्ण मंदिर परिसर है।
सबरीमाला आने वाले ज़्यादातर श्रद्धालु सड़क मार्ग से आते हैं। कर्नाटक राज्य से आने वाले श्रद्धालु जो मंगलौर या मैसूर से होकर आते हैं, वे केरल के मध्य भाग में स्थित त्रिशूर शहर में आ सकते हैं। फिर वे सबरीमाला पहुँचने के लिए मूवट्टुपुझा-कोट्टायम सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सबरीमाला मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है रामायण कथाओं में जिस शबरी के, आदर और श्रद्धा से भगवान राम ने जूठे फल खाए थे, बाद में उसी शबरी के नाम पर सबरीमाला मंदिर का नाम पड़ा है। क्योंकि भगवान अयप्पा को शिव भगवान और हरि यानी विष्णु भगवान का पुत्र भी माना जाता है।
सबरीमाला मंदिर भगवान अय्यप्पा को समर्पित है जो भगवान शिव और मोहिनी (भगवान विष्णु का रूप) का पुत्र माना गया है। जब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था तो भगवान शिव उनपर मोहित हो गए थे, जिस कारण अयप्पा का जन्म हुआ।
सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) के लिए इन दिनों वार्षिक तीर्थयात्रा चल रही है। इस दौरान दस दिनों में मंदिर को 52 करोड़ रुपये की आय हुई है। इस बारे में देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष के अनंतगोपन एडवोकेट ने जानकारी देते हुए बताया कि दस दिनों में मंदिर को 52 करोड़ रुपये की आय हुई है। इसमें अप्पम की बिक्री के लिए 2.58 करोड़ रुपये अरावना की बिक्री के लिए 23.57 करोड़, हुंडी राजस्व के रूप में 12.73 करोड़ रुपये मिले हैं।
स्वामी अयप्पा भगवान शिव और श्री विष्णु के पुत्र हैं। मान्यता हैं समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण किया तब शिव जी उनपर मोहित हो गए और उनका वीर्यपात हो गया। इसके प्रभाव से स्वामी अयप्पा का जन्म हुआ। इसलिए अयप्पा देव को हरिहरन भी कहा जाता है।
कुछ लोगों का मानना है कि भगवान अयप्पा ने जिन 18 हथियारों से बुराई का नाश किया, वे 18 चरणों को दर्शाते हैं। दूसरों का मानना है कि पहले पाँच चरण इंद्रियों (आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा) को दर्शाते हैं। अगले आठ चरण रागों (तत्व, काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, मत्सरय और अहंकार) को दर्शाते हैं।
सबरीमाला मंदिर के प्रति केरल के लोगों में गहरी आस्था है, इसलिए पूरे साल सैकड़ों लोग मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शनों के लिए आते हैं। ये मंदिर करीब 800 साल पुराना माना जाता है। भगवान अयप्पा के दर्शनों के लिए देश और विदेश से पूरे साल भर श्रद्धालु आते रहते हैं।
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