विवाह पंचमी: आख़िर कैसे और कब हुआ माता सीता और प्रभु श्री राम का विवाह
भगवान राम और माता सीता का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान राम और सीता मां का विवाह हुआ था। इस तिथि का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष 6 दिसंबर 2024 को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस दिन विवाह पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था।
इसलिए हर वर्ष विवाह पंचमी को भगवान राम और माता सीता की विवाह वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर अयोध्या नरेश प्रभु श्री राम और जनक दुलारी माता सीता की विधि विधान से पूजा की जाती है। विवाह पंचमी के दिन माता सीता और भगवान राम की विवाह कथा सुनने की भी परंपरा है। इस दिन राम और सीता की विवाह कथा सुनने या पढ़ने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
कैसे हुआ था माता सीता और प्रभु श्री राम का विवाह ?
हम सभी जानते हैं कि स्वयंवर के बाद भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था, जिसमें भगवान श्री राम ने न केवल शिव धनुष उठाया था बल्कि उसे तोड़ भी दिया था। लेकिन स्वयंवर की यह कथा रामचरित मानस में है। वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण में स्वयंवर का कोई उल्लेख नहीं है। वाल्मिकी रामायण में जो लिखा है उसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। दरअसल, भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह के समय सीता केवल 6 वर्ष की थीं और भगवान राम 13 वर्ष के थे।
वाल्मिकी रामायण में एक स्थान पर माता सीता कहती हैं कि विवाह के बाद वे 12 वर्षों तक अयोध्या में सुखपूर्वक रहीं, जिसके बाद श्री राम वनवास चले गये, उस समय भगवान श्री राम 25 वर्ष के थे और वे 18 वर्ष की थीं। वाल्मिकी ने किसी स्वयंवर का जिक्र नहीं किया है। वाल्मिकी रामायण के अनुसार महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण प्रभु मिथिला पहुंचे थे। विश्वामित्र ने ही महाराजा जनक से प्रभु श्री राम को शिव धनुष दिखाने की बात कही थी। खेल-खेल में भगवान श्रीराम ने धनुष उठा लिया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया। महाराजा जनक ने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई भी इस धनुष को उठा लेगा, वे सीता का विवाह उसी से कर देंगे।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और सीता माता के शुभ विवाह के कारण ही विवाह पंचमी का पर्व अत्यंत पवित्र माना जाता है। भारतीय संस्कृति में राम-सीता आदर्श दंपति माने गए हैं। इस पावन दिन सभी को राम-सीता की आराधना करते हुए अपने सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
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