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देश आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 33वीं पुण्यतिथि पर याद कर रहा है। 21 मई 1991 को एक आत्मघाती बम धामाके में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। 21वीं सदी में भारत को तकनीकी रूप से सक्षम राष्ट्र बनाने का सपना देखने वाले राजीव जी को आज के समय में हम सबसे ज्यादा उनके विचारों और संवेदनशील नेता के रूप में याद करते हैं। उन्होंने एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की थी जो प्रौद्योगिकी और विज्ञान से समृद्ध हो और मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण हो।

यह याद रखना जरूरी है:- राजीव गांधी ने नाजुक क्षणों में देश की बागडोर संभाली थी. श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या पर पूरा देश शोक में था। राजीव जी ने सांप्रदायिक ताकतों, नफरत, आतंकवाद, अशिक्षा और गरीबी के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी। वे देश को जाति, धर्म और संप्रदाय के संकीर्ण दायरे से मुक्त कराना चाहते थे। उनका प्रयास था कि भारत आपसी सद्भावना का ऐसा गुलदस्ता बने कि नवप्रवर्तन के साथ विकास की मंजिल की ओर निरंतर बढ़ता रहे।

यह साजिश लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन, लिट्टे की खुफिया इकाई प्रमुख पोट्टू ओम्मन, महिला दल प्रमुख अकिला और शिवरासन ने मिलकर रची थी, जिसमें शिवरासन ही इस योजना का मास्टरमाइंड था. राजीव गांधी के साक्षात्कार के प्रकाशन के एक महीने बाद ही लिट्टे आतंकवादियों का पहला समूह शरणार्थी के रूप में भारत आया। इसके बाद सात दलों ने भारत में अलग-अलग स्थानों पर अपने अड्डे स्थापित किये जहाँ से संदेशों का आदान-प्रदान होता था।

राजीव गांधी के अनमोल वचन:- 

कुछ दिनों तक लोगों को लगा कि भारत हिल गया है. लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो कंपन होता ही है,भारत एक प्राचीन देश है, लेकिन एक युवा राष्ट्र है... मैं युवा हूं और मेरा भी एक सपना है। मेरा सपना भारत को मजबूत, स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और दुनिया के सभी देशों में प्रथम स्थान पर लाना और मानव जाति की सेवा करना है।

फैक्ट्रियां, बांध और सड़कें विकास नहीं कहलातीं. विकास लोगों के बारे में है. इसका लक्ष्य लोगों को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संतुष्टि प्रदान करना है। विकास में मानवीय मूल्यों को पहली प्राथमिकता दी जाती है।
महिलाएं किसी देश की सामाजिक चेतना होती हैं। वे हमारे समाज को एकजुट रखते हैं।'

कम उम्र में ही राजनीति की ऊंचाइयों पर पहुंच गए:-

1980 के दशक में जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा तो उनकी छवि मिस्टर क्लीन की थी। राजीव शुरू से ही विदेश में पढ़ाई करने और 40 साल से कम उम्र में राष्ट्रीय राजनीति में इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचने के कारण भी लोकप्रिय थे।  
                 ''किसानों की तरक्की के बिना देश की तरक्की संभव नहीं''

महात्मा गांधी द्वारा परिकल्पित "ग्राम-स्वराज" राजीव गांधी की प्राथमिकताओं में शामिल था। उन्होंने 'कोई गरीब न हो, कोई दुखी न हो, कोई शोषित न हो' की भावना के अनुरूप रामराज्य को साकार रूप देने का संकल्प लिया था। वह चाहते थे कि गांव के विकास का पैसा सीधे ग्राम पंचायतों तक पहुंचे और ग्रामीण मिलकर गांव में विकास की दिशा तय करें।

राजीव गांधी का मानना ​​था कि किसान हमारे देश की रीढ़ हैं। कृषि की उन्नति के बिना देश की उन्नति संभव नहीं है। प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान राजीव जी ने कृषि में अधिक पूंजी निवेश का प्रावधान किया। कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए जल संसाधनों के बेहतर उपयोग पर जोर दिया गया। राजीव जी ने हरित क्रांति की समीक्षा की और पाया कि हरित क्रांति के कारण गेहूं के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है, लेकिन तिलहन और दलहन के क्षेत्र में और अधिक सुधार की आवश्यकता है।

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