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द्वारका मंदिर का रहस्य

भगवान कृष्ण को अक्सर ‘द्वारकाधीश’ या ‘द्वारका के राजा’ के नाम से पुकारा जाता था और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है। आजकल इस मंदिर का बंदोबस्त वल्लभाचार्य सम्प्रदाय देखती है। मुख्य आश्रम में भगवान् कृष्ण और उनकी प्रिय राधा की मूर्तियाँ हैं। इस मंदिर में दूसरे देवी देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं।

श्रीकृष्ण पर किसी शिकारी ने हिरण समझकर बाण चला दिया था, जिससे भगवान श्रीकृष्ण देवलोक चले गए, उधर, जब पांडवों को द्वारका में हुई अनहोनी का पता चला तो अर्जुन तुरंत द्वारका गए और श्रीकृष्ण के बचे हुए परिजनों को अपने साथ इंद्रप्रस्थ लेकर चले गए। इसके बाद देखते ही देखते पूरी द्वारका नगरी रहस्यमयी तरीके से समुद्र में समा गई।

– द्वारका धाम हिंदू धर्म के चारों धामों में से एक है। यह गुजरात के काठियावाड क्षेत्र में अरब सागर के द्वीप पर स्थित है।

किंवदंतियों के अनुसार, भगवान कृष्ण के संसार से चले जाने पर द्वारका अरब सागर में डूब गई थी, जिससे कलियुग का प्रारंभ हुआ। अहमदाबाद। गुजरात का द्वारका शहर वह स्थान है, जहां 5000 साल पहले भगवान कृष्ण ने द्वारका नगरी बसाई थी। जिस स्थान पर उनका निजी महल और हरिगृह था, वहां आज द्वारकाधीश मंदिर है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मंदिर तकरीबन 2200 साल पुराना है। 5 मंजिला इमारत और 72 स्तंभों वाला यह मंदिर काफी खास है और दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण को यह मंदिर समर्पित है। पीएम मोदी ने रविवार को यहां जाकर पूजा अर्चना की और इसका वीडियो भी शेयर किया गया।

द्वारका (Dwarka) भारत के गुजरात राज्य के देवभूमि द्वारका ज़िले में स्थित एक प्राचीन नगर और नगरपालिका है। द्वारका गोमती नदी और अरब सागर के किनारे ओखामंडल प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर बसा हुआ है।

पुराणों के अनुसार करीब पांच हजार साल पहले जब भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका नगरी बसाई थी तो जिस स्थान पर उनका निजी महल यानी हरि गृह था। वहीं पर द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण हुआ। मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण की श्यामवर्णी चतुर्भुज प्रतिमा है। जो चांदी के सिंहासन पर विराजमान है।

द्वारकाधीश मंदिर, जिसे जगत मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, गुजरात के द्वारका में गोमती नदी के तट पर स्थित है। प्राचीन भारतीय शहर द्वारका को हिंदू संस्कृति में कृष्ण की महान और सुंदर नगरी के रूप में जाना जाता है। हिंदू लेखन में कहा गया है कि जब कृष्ण आध्यात्मिक दुनिया में शामिल होने के लिए पृथ्वी से चले गए, तो कलियुग शुरू हुआ और द्वारका और उसके निवासी समुद्र में डूब गए।

वैज्ञानिक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि समुद्र के स्तर में परिवर्तन के कारण द्वारका लगभग 3500 साल पहले जलमग्न हो गई होगी। पानी के नीचे पुरातत्व के दौरान खोजे गए कई लंगर द्वारका की ऐतिहासिक बंदरगाह स्थिति का संकेत देते हैं, जो 15वीं से 18वीं शताब्दी तक भारतीय और अरबी क्षेत्रों के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाता था।

द्वारिकाधीश भगवान की बंद आंखें प्रेम का प्रतीक मानी जाती है। प्रेम दृष्टि से परे है, और द्वारकाधीश भगवान अपने भक्तों पर असीम प्रेम बरसाते हैं। द्वारकाधीश भगवान ध्यान की मुद्रा में हैं। उनकी बंद आंखें भक्तों को ध्यान केंद्रित करने के बारे में बताती है।

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