जानिए क्यों मनाया जाता है भाई बहन का त्योहार भाईदूज
नरकासुर के वध के बाद भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने कई बातें बताईं और अपने भाई भगवान श्री कृष्ण के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए एक विशेष अनुष्ठान की कामना की। तभी से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई।
3 नवंबर 2024 को भाई दूज का दिन है। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत बनाता है। यह हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। ज्योतिष गणना के अनुसार इस साल भाई दूज पर सुबह 11:39 बजे तक सौभाग्य रहेगा। तब शोभन योग प्रारंभ होगा। इस दौरान अनुराधा नक्षत्र और बालव व कौलव करण का संयोग भी बन रहा है। इस संयोग में भाई को तिलक लगाने से रिश्ते में मधुरता और विश्वास बना रहता है।
भाई दूज क्यों मनाया जाता है?
कहा जाता है कि सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के दो बच्चे थे, जिनका नाम यमराज और यमुना था। यमराज और यमुना के बीच भाई-बहन के प्यार में कोई कमी नहीं थी। एक बार यमुना ने अपने भाई यमराज को कार्तिक शुक्ल तृतीया के दिन अपने घर बुलाने का वचन दिया था। ऐसे में दूज के दिन यमराज भाई अपनी बहन के घर पहुंचे।
यमुना ने भाई यमराज का स्वागत किया और उनके लिए भोजनालय बनवाया। यमराज अपनी बहन के प्यार से इतने खुश हुए कि उन्होंने अपनी बहन से यह बात अपने दादा-दादी को बताने के लिए कहा, लेकिन यमुना ने कहा कि भाई आप हर साल मेरे घर आया करो। इसके बाद से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।
भाई दूज का महत्व
यह तो सभी जानते हैं कि भाई दूज भाई-बहन के प्यार का बड़ा त्योहार है। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और उसके हाथ पर लाल धागा बांधती है और मिश्री से मिठाई बनाकर उसे नारियल भी बेचती है। सिद्धांत यह है कि इससे भाई सदैव सुरक्षित रहता है।
थाली में जरूर रखें ये चीजें
भाई दूज के लिए थाली तैयार करते समय सबसे पहले उसमें तिलक करने के लिए रोली ,चंदन,अक्षत यानी चावल भी थाली में जरूर रखें। लाल कलावा, सुपारी, भगवान गणेश का प्रतीक है, एक चांदी का सिक्का रखें। तिलक की थाली में आप भाई को तिलक के बाद पहनाने वाली फूल माला भी जरूर रखें। साथ ही मिठाई भी थाली में रखें। इस थाली में केला जरूर रखें। इसे खिलाने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है।
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